Tuesday, 1 December 2020

दिल की धड़कन dil ki dhadkan



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दिल एक मंदिर है 

हम आपके दिल में रहते हैं 

हम दिल दे चुके सनम 

रहना है तेरे दिल में 

दिल तो पागल है 

दिल का क्या कसूर 

दिल चाहता है 

दिल दीवाना 

दिल से 

दिल

यह फिल्मवाले सिर्फ अपनी फिल्मों  में "दिल" का शब्द जोड़कर खूब पैसे कमाते हैं ।  जी हां, दिल एक अजीबसा चीज़ है । बच्चों से लेकर बूढ़े तक अपना करिश्मा दिखाता रहता है ।  जवानी में इसका असर ज्यादा पड़ता है । 

देखिए न, अपना हीरो भोलेनाथ भी दिल देने के लिए तड़प रहा था ।  बहुत कोशिशों के बाद एक लड़की मिली । 

इसने उसके देखा 

उसने इसको....

आखों आखों में बात हुई 

दोनों नजदीक आये 

पहचान हुआ 

पहचान दोस्ती में बदला  

दोस्ती से प्यार, मोहब्बत, इश्क हुआ

एक दिन भोले ने अपनी महबूबा से कहा 

"सुनो, आज हम सिनेमा देखने चलते हैं, और चित्रमन्दिर में सबसे पीछेवाली कुर्सी में बैठेंगे"

लड़की खुश हुई, पर पीछेवाली सीट का मामला समझ न पाई 

लेकिन दोनों चित्रमन्दिर पहुंचे तो तब मालूम हुआ की सारी  पीछेवाली सीट बुक हो चुकी थी 

सिनेमा भी क्या मस्त था । अच्छे अच्छे गाने थे । क्या शायरियां थीं ।  इंटरवल में भोला अपनी महबूब को जोश में कविता सुनाने लगा । 

"तुम ही हो मेरी वंदना 

तुम ही हो मेरी प्रार्थना 

तुम ही हो मेरी कल्पना 

तुम ही हो मेरी अर्चना"

लड़की चकित हो कर बोल पड़ी "तुमने इन में से किसी को तुम्हारा दिल तो नहीं दिया है न"

भोले को इसका नुकसान भुगतना पड़ा । किसी 5 स्टार रेस्टोरंट ले जाना पड़ा समझाने  के लिए ।  फिर भी कभी कभी लड़की पूछती थी "यह वंदना कौन है ? यह अर्चना कौन है ? बोलो न" । भोले ने तब तेय कर लिआ और कहा "चलो अब शादी करलेंगे" 

जैसे सदियों  से अब तक हर फिल्मों में दिकाते आ रहे हैं वैसे हे इन दोनों का घर में बड़ों के बीच झगड़ा हुआ ।  पर इन दोनों का प्यार अटल था ।  इसलिए अंततः सब लोग राजी होगए ।  और होगई  शादी - पर शुरू हुई बरबादी , दिल धड़कने से बदले दिल का दौरा पड़ने लगा ।  देखिए न - 

सुबह सुबह साढ़े पांच बजे घर से मूसलाधार  बारिश में दूद लेने के लिए जा रहा है ।दूधवाला चकित होकर पुछा "शादी हो गई क्या ?" भोले ने सच्चाई बतादी "और  नाही तो  मेरी माँ मुझे इतनी बारिश में घर से बाहर निकल ने देती ?" 


खैर छोड़िए, यह तो मैंने मजाक किया । वह दोनों बहुत प्यार करते थे, एक दूसरे को बहुत चाहते थे - जैसे 

"मुमताज शाहजहां की तरह 

रोमियो जूलिएट की तरह 

सलीम अनारकली की तरह 

सोहिनी महिवाल की तरह"


देखते देखते 

दिन बीत गए , महीनों  बीत गए, सालों बीत गए,  एकलौता बेटा इंजीनयर बना, 

एकलौती बेटी डाक्टर बनी, बच्चोंकी शादी भी हुई और अपना भोला बनगए नाना 

फिर भी दिल का कमाल तो देखिए - बालकनी से नाना बोले  "विष्णु - मेरा दाँतों का सेट जल्दी लाओ" विष्णु ने पुछा "अब तो खाने का समय नहीं है"  नाना बोले "वह नीचे देखो एक सुन्दर सी लड़की जारही है, सीटी बजाने केलिए मेरा दिल चाहता है"

तो यह थी दिल के बारे में एक छोटीसी झलक, भोले के द्वारा 

मेरे खयाल में दिल एक टेलीविशन सेट की तरह होता है । दिल भी रंग बिरंगे करिश्मा, कमाल चौबीसों घंटे दिखाता है । पर इस दिल की रिमोट कंट्रोल एक जगह में छुपा हुआ होता है, वह है 'दिमाक' । इसलिए दोस्तों अपने अपने दिमाक को काबू में रखो  । 

end- written sometime ಇನ್ 2002

         somewhere some points are heard over radio

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back to  

end.

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